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सोच को बदलें (भाग 2)

चिंतन के क्षण
चिंतन के क्षण
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सोच को बदलें (भाग 2)
माननीय श्री प्रणव मुखर्जी हमारे देश के राष्ट्रपति के पद की गरिमा को बनाये हुए है, इसलिए हमारे ह्रदय में उनका विशेष स्थान है | पिछले दिनों उन्होंने एक सारगर्भित संदेश दिया कि गंदगी बाहर सडकों पर नहीं है, गंदगी तो हमारे मस्तिष्क में है | उनके इस संदेश ने उन का सम्मान हमारी दृष्टि में और भी अधिक बढ़ा दिया है | कहा जाता है कि समझदार के लिए संकेत ही काफी होता है | काश ! वे सांसद, विधायक और पुरस्कार लौटाने वाले बुद्धिजीवी साहित्यकार जिन का मानना है कि देश में असहिष्णुता बड़ रही है, उन के इस संदेश को समझते | असहिष्णुता की बात कब और कौन करते हैं, राजनीति में निपुण चाणक्य के शब्दों से समझ सकते हैं | उनका मानना है–” when the king becomes stronger and controls the nation, petty thief, terrorist, traitor feel the heat and complain of intolerance in the society”. this was said 2300 years back great Chanakya.
असहिष्णुता की आवाज़ उठाने वालों में इतनी समझ होती कि वे माननीय राष्ट्रपति के संकेत को समझ पाते और संसद की गति में विघ्न न डालते | वे समझते हैं कि संसद की कारवाई में अवरोध उत्पन्न करके वे देश हित में कार्य कर रहे हैं, उनका ऐसा सोचना ही सबसे बड़ी मूर्खता के अतिरिक्त कुछ नहीं है | काश ! वे समझ पाते कि उनकी मूर्खता के कारण देश का कितना समय और धन नष्ट हो रहा है | राहुल गांधी संसद में दादरी काण्ड को उछाल रहे हैं | वे एक वर्ग विशेष को बतलाना चाहते हैं कि वे ही केवल उन के शुभ चिंतक और उनके हितैषी हैं, वे सम्प्रदाय की आग लगा कर स्वयं उसमें अपनी वोट की रोटियां सेकने के अतिरिक्त और कुछ नहीं चाहते | दादरी काण्ड एक निस्संदेह निन्दीय, दुर्भाग्य पूर्ण, दुःखद काण्ड है जो नहीं होना चाहिए था, परन्तु उस अपराध को जाति का रंग देना और देश की सम्वेदनशीलता को हवा दे कर वातावरण विषैला करना उससे बड़ा जघन्य अपराध है | सब ने इस की निंदा की है और सरकार ने विश्वास दिलाया है कि अपराधियों को छोड़ा नहीं जाएगा | राजनियम के अंतर्गत उन्हें दंडित किया जाएगा | राहुल गांधी में परिपक्वता होनी चाहिए जो उन में नहीं है, वे केवल सत्ता पाने के भूखे हैं, इस सच्चाई को देश के हरेक वर्ग को समझना अब अत्यंत ही आवश्यक है | राहुल गाँधी को देशवासी इस बात का ज्ञान करवा दें कि हमारे देश में अलग-अलग मत-सम्प्रदाय के लोग हैं | इनमे विचारों की, रीति-रिवाजों की और धार्मिकता में विभन्नता होते हुए भी हम सब एक ही परिवार के सदस्य हैं | परिवार एक माला है जिस में परिवार के सभी सदस्य रंग-बिरंगे मोती के समान पिरोये हुए हैं | इस परिवार में परस्पर सदस्यों में तर्क-कुतर्क होता है, लड़ते-झगड़ते हैं और कई बार मार-पिटाई भी होती है और कई बार तो परस्पर बोल-चाल बंद करने की नौबत भी आ जाती है लेकिन अंत में परिवार, परिवार ही रहता है, (No society is perfect. We argue, we fight, we even stop talking to each other at times, BUT in the end our society is our family. The love will always be there.) राहुल गांधी को यह जानना चाहिए कि कैसे हम सामान्य जन बिना किसी मतभेद के मधुर सम्बन्धों की डोर में बंधे हुए हैं | हम सब मिल कर एक ही संस्था में काम करते हैं | हमारे बच्चे एक ही शिक्षण स्थान में पढ़ते हैं, परस्पर इकट्ठे खेलते हैं, हम मिल कर ईद और दिवाली मनाते हैं, हम फ़िल्मी कलाकारों की फ़िल्में देखने में और उन के अभिनय की सराहना बिना भेदभाव के करते हैं | हमें कोई अंतर नहीं पड़ता कि हमारा पड़ोसी किस मत-सम्प्रदाय का है | वैचारिक सम्बन्ध समान विचारों से बनते भी हैं और बिगड़ते भी हैं | जब तक विचारों में सामंजस्य रहता है तो सम्बन्ध मधुर और थोड़ा भी मतभेद हुआ तो उन्हीं मधुर सम्बन्धों में कड़वाहट आ जाती है और सम्बन्ध भी बिखरने लगते हैं | कालान्तर में हमारे सम्बन्ध सामान्य भी हो जाते हैं | हम भली-भाँति जानते हैं कि जिस प्रकार मणियों का मूल्य पृथक-पृथक रहने पर कम होता है, माला के रूप में उन का मूल्य बढ़ जाता है, इसी प्रकार जब देश एक ही सूत्र में पिरोया होता है तो उस देश का विशेष आदर व महत्व होता है, परन्तु उसी देश के जनसमूह का पृथक-पृथक टुकड़ा वह सम्मान व मूल्य नहीं पा सकता | राहुल गांधी से निवेदन है कि वह अपनी गंदी राजनीति सोच को हमारे जैसे सामान्य जनों से दूर रखे, इसी में हम अपनी भलाई देखते हैं | हाँ ! हम देशवासी कभी भी निराश व हताश न हों और न ही मानवता में विश्वास की कमी होने पाए क्योंकि मानवता सागर की तरह है, अगर सागर की कुछ बूंदे गंदी हैं तो सागर गंदा नहीं हो जाता |
प्रायः ऐसा कहा जाता है कि हमारे देश के पास सब कुछ है, पैसा, सेना, जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधन, सब कुछ केवल जागरूकता और सकारात्मक सोच की कमी है, इसलिए हम पिछड़े हुए हैं परन्तु अब बड़े ही हर्ष की बात है कि हमारे बच्चे जागरूक और सकारात्मक सोच वाले हो रहे हैं अभी पिछले दिनों राहुल गाँधी अपनी घटिया नकारात्मक सोच के साथ जब माउन्ट कार्मेल्स कालिज में वहां के छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे तो छात्रों से पूछा कि क्या स्वच्छ भारत अभियान और मेड इन इंडिया पर कुछ काम हो रहा है तो छात्रों ने उस की आशा के विपरीत सबने एक ही स्वर में YES कहा | छात्रों के उत्तर से राहुल गाँधी को ठेस तो अवश्य पहुंची होगी क्योंकि वे ऐसा उत्तर सुनने के आदी व अभ्यस्त नहीं हैं, परन्तु जन सामान्य में छात्रों ने अपनी एक अलग छवि और पहचान बना ली है | राहुल गाँधी के समर्थकों को व सहयोगियों को भी उचित है कि अब नेहरु-गाँधी परिवार का मोह भंग करें और देश के विकास में जो व्यक्ति काम कर रहें हैं उन का साथ दें | आज पुलिस प्रशासन अलर्ट, प्रोपर्टी का बूम खत्म, सडकों का निर्माण ज़ारी, सफाई कर्मचारी अलर्ट, आतंकवाद की सफाई जारी, घोटालों व विदेशों मे जमा काले धन के खुलासे जारी | अगर अभी नहीं समझे कि अच्छे दिन क्या हैं तो यह राहुल गांधी व विपक्ष की नकारात्मक सोच और विकृत प्रवृति है | जी न्यूज ने स्वच्छ मीडिया का अभियान आरम्भ करके इस दिशा में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण एवं साहसिक कदम उठाया है जो सराहनीय है | इस लिए जी न्यूज बधाई के पात्र हैं

मेरे यह विचार किसी भी प्रकार की राजनीति से प्रेरित नहीं | मैं तो एक मध्यमवर्गीय साधारण परिवार की गृहिणी हूँ जिस का कार्य क्षेत्र केवल घर की चार दिवारी ही है | मैं तो समाचार पत्र तक नहीं पढ़ती केवल रात को थोड़ी देर समाचार अवश्य सुनती हूँ, जब मेरे ही देश के प्रधान मंत्री विदेशों में उन के प्रमुखों से चर्चा कर रहे होते हैं तो स्वयं को गर्वोनित अनुभव कर रही होती हूँ | I don’t say Modi is the best prime minister BUT it is the first time I know my country is safe, I AM A PROUD INDIAN
जय-हिन्द
राज कुकरेजा /करनाल

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