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राष्ट्र द्रोह एक अक्षम्य अपराध

चिंतन के क्षण
चिंतन के क्षण
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राष्ट्र द्रोह एक अक्षम्य अपराध

एक संत नदी किनारे मौन साधना कर रहा था।पानी से एक बिच्छु निकला और संत को ढंक मार दिया।संत ने बड़े प्यार से बिच्छु को पकड़ा और नदी में डाल दिया।बिच्छु फिर निकला और संत को फिर से डँस लिया।संत ने पकड़ कर पानी में छोड़ दिया।बिच्छु निकलता संत को ढंक मारताऔर संत बड़े ही कोमल भाव से नदी में छोड़ देता।संत और बिच्छु की यह क्रीड़ा दूर खड़ा एक राहगीर बड़े ही कौतुहल से देख रहा था,जब उससे रहा न गया तो संत के पास आया और बोला कि महाराज कब से मैं खड़ा देख रहा था कि आप को बिच्छु बार-बार डंक मारता है और आप उस पर दया करके उसे छोड़ देते हो।आप नहीं जानते कि बिच्छु का स्वभाव ही डंक मारना है।आप इसे मार ही क्यों नहीं देते।?राहगीर की बात सुन कर संत मुस्करा दिये और बोले भाई तुम बहुत भोले हो।बिच्छु का स्वभाव डंक मारना है तो संत का भी स्वभाव करूणा है ।यदि बिच्छु अपना स्वभाव नहीं छोड़ सकता तो एक संत होते हुए मैं अपना स्वभाव कैसे छोड़ सकता हूँ।आज के युग में यह दृष्टान्त हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी पर खरा उतरता है।वह इस समय संत की भूमिका निभा रहे हैं।कई कलुषित मनोवृति वाले लोग विशेषत: विपक्ष कटु और आलोचनात्मक दृष्टि कोण से प्रधान मंत्री के विकास के कार्यक्रमों में बाधा व रास्ते में काँटे बिछाने में पूर्णत: प्रयत्नशील रहते हैं ।ऐसे लोगों को देश के विकास से कोई लेना देना नहीं है।उनका उद्देश्य तो देश की अर्थ व्यवस्था को कमज़ोर करना है जिससे प्रधान मंत्री कमज़ोर पड़ जाएँ।प्रधान मन्त्री को कमज़ोर बनाने के लिए और देश को विध्वंसता के कगार तक पहुँचाने के लिए छात्रों में देश द्रोही जैसे कुत्सित विचार भर कर निम्न प्रकार के हथ कण्ठे अपनाने से भी नहीं चूक रहे रहे हैं, परन्तु हमारे प्रधान मंत्री बिना विचलित हुए अबाध गति से अग्रसर हो रहे हैं।कहा भी गया है कि संतों का जीवन परोपकार के लिए होता है।चन्दन के वृक्ष के साथ साँप लिपटे होते हैं परन्तु चन्दन उनके विष से स्वयं को प्रभावित नहीं होने देता,अपनी सुगंध फैलाता ही रहता है।
प्रधान मन्त्री भी इन कलुषित मनोवृत्ति वाले लोगों से अप्रभावित हुए अपनी अनुपम कार्यशैली से विदेशों में यश व कीर्ति की सुगंध फैला रहे हैं।देश का दुर्भाग्य है कि विपक्ष के लोग उनकी बढ़ती लोकप्रियता को पचा नहीं पा रहे हैं,इसलिए देश के लिए घातक रणनीति बनाने में लगे रहते हैं।इस घातक रणनीति से कन्हैया नामक छोकरे का जन्म हुआ है,जो देश द्रोही की एक खलनायक की भूमिका में निम्न स्तर की सस्ती सी लोक प्रियता अर्जित करने का प्रयास कर रहा है।इस देश द्रोही को देश का एक वर्ग कठोर से कठोर दण्ड की माँग कर रहा है तो एक वर्ग व्यक्ति की अभिव्यक्ति की दुहाई दे कर पूरा समर्थन कर रहा है और आगामी चुनावों में इस कन्हैया को मोहरा बना कर इस देशद्रोही की मुख्य भूमिका के लिए रणनीति भी तैय्यार कर रहा है।एक ऐसा भी वर्ग है जो यह तो मानता है कि देशद्रोही कन्हैया व उस जैसे दूषित मनोवृत्ति वालों ने जो नारे बाज़ी की है वह अनुचित है परन्तु इन को दण्डित नहीं करना चाहिए।दूसरे शब्दों में इन की मनोवृत्ति को इस प्रकार समझे कि चोर-डाकू हमारी अस्मिता पर प्रहार करे तो अनुचित परन्तु दण्ड न दिया जाए।ऐसी मानसिकता वाले लोग नहीं समझते कि दण्ड से ही आदमी सुधरता है। बिना दण्ड के कोई नहीं सुधरता है।आज हमारे देश की दण्ड व्यवस्था शिथिल हो चुकी है, जिस कारण आसमाजिक तत्वों को पनपने के भरपूर अवसर मिल रहे हैं।अत: कन्हैया व उसके साथी छात्रों द्वारा किया गया यह कार्य अत्यन्त ही निन्दनीय है और देशद्रोह के अतिरिक्त कुछ नहीं है।जो इनके समर्थक हैं,वे भी सब देशद्रोही हैं।जो किसी भी प्रकार देशद्रोह का समर्थन करता है,वह निश्चित रूप से देशद्रोही है।
आसमाजिक और अराष्ट्रीय विचारों को प्रश्रय देने वालों की घृणित मानसिकता कन्हैया के कारण देश में उजागर हो गई तो सारे देश में कन्हैया के प्रति जन साधारण में आक्रोश फैल गया। परन्तु कुछ राज नेता जो अकण्ठ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं,अपनी वोटों की रोटियाँ सेंकने में लगे हैं।ये स्वार्थी लोग अपने काम की सिद्धि के लिए दुष्ट कामों को भी श्रेष्ठ मान,दोष को नहीं देखते।दोष के पक्ष में भी तर्क जुटा लेते हैं।झूठ के सहारे से ये लोग अपनी कुर्सी की पकड़ को मज़बूत बनाते हैं।निज स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ पाते हैं,तभी कन्हैया जैसे छोकरों की सहायता करते हैं और देशद्रोह जैसे अक्षम्य अपराधों का समर्थन करते हैं।इस लिए कहा जाता है कि “स्वार्थी दोषं न पश्यति”।
प्राय: कहा जाता है कि विनाश काले विपरीत बुद्धि:अर्थात जब विनाश काल आता है तो बुद्धि विपरीत काम करती है।थोड़ा इस में संशोधन करें, विपरीत बुद्धि के कारण ही विनाश काल आता है।देश का सौभाग्य है कि एक कर्मठ प्रधान मंत्री मिले हैं जो परिवारवाद,जातिवाद,समाजवाद और अर्थवाद से ऊपर उठे हुए हैं।जो केवल अपने देश को एक विकसित देश देखने का सपना देखते हैं, इसके लिए वह सब के साथ व सब के विकास की बात करते हैं।अठारह-अठारह घण्टे काम करना जिनका स्वभाव बन गया है और विश्राम के नाम पर एक भी दिन का अवकाश नहीं लिया है।देश की छवि को स्वच्छ देशों की श्रेणी के साथ जोड़ने के लिए स्वच्छ भारत अभियान प्रारंभ करके स्वयं झाड़ू उठाने में संकोच नहीं करते।दूसरी ओर वामपंथ की उपज कन्हैया और राजनीति में सत्ता के लालच में तुष्टीकरण का उपयोग करने वाले राहुल गांधी व केजरीवाल अपने हठी व दुराग्राही स्वभाव के कारण देश को गंदगी के गर्त में ढकेलने के लिए अपनी ओर से कुछ भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं।यह देश का सब से बड़ा दुर्भाग्य है।बाहरी शत्रु हमें उतनी क्षति नहीं पहुँचाते जितनी भीतरी शत्रु पहुँचाते हैं।
देश की वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए जन सामान्य में जागृति लानी है।अब समय केवल अधिकारों का नहीं,अपने-अपने कर्तव्यों के पालन का है,और महत्वपूर्ण यह है कि कर्तव्य का पालन पूरी इमानदारी से करें।देश के प्रति अपने दायित्वों को पूर्ण न करना अपने उत्तरदायित्वों से पलायन करना है।ऋषि दयानंद सरस्वती जी लिखते हैं कि राष्ट्र प्रेम हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है -“ हम और आपको अति उचित है कि जिस देश के पदार्थ से अपना शरीर बना,अब भी पालन होता है, आगे होगा, उसकी उन्नति तन-मन-धन से सब जने मिल के प्रीति से करें।” सुदृढ़ राष्ट्र की नींव राष्ट्र प्रेम की संस्कृति पर आधारित होती है।राष्ट्र हित सर्वोपरि है और इस हित को ध्यान में रखते हुए देश द्रोह का अपराध किसी भी परिस्थिति में क्षम्य नहीं है।इनको योग्य दण्ड देने पर ही आगे की गतिविधियों पर अंकुश लग सकता है।सरकार के साथ-साथ समाज को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।दूरदर्शन के चैनल जो देश द्रोही छात्रों की प्रस्तुति उन को नायक बनाकर करते हैं,उन पर भी प्रतिबन्ध लगना चाहिए।उनकी इस प्रकार की प्रस्तुति देश में भ्रम उत्पन्न करती है। वर्तमान काल में जी न्यूज़ स्वच्छ एवं सकारात्मक भूमिका निभा रहा है,हम सब की ओर से बधाई का पात्र है।
प्रधान मन्त्री जी से निवेदन है कि आप के संत स्वभाव के कारण आप के विरोधी केवल आप को ही कमज़ोर नहीं करेंगे अपितु पूरा देश ही इन देश द्रोहियों की चंगुल में फँस जाएगा।समय रहते चेत जाना चाहिए,कहीं ऐसा न हो कि देर हो जाए।हमारे शास्त्र भी देश द्रोहियों को कठोर दण्ड देने का आदेश देते हैं।अत: आप से देशवासियों का अनुरोध है कि शास्त्रों के आदेश का पालन कीजिए।
राज कुकरेजा /करनाल

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