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सुशासन की ओर बड़ता क़दम ।
आज नोटबन्दी को विषय बना कर काफ़ी कुछ लिखा व बोला जा रहा है। पिछले पचास दिनों से मीडिया और सोशल साइट्स पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। पक्ष व विपक्ष में भी बहस का विषय बन चुका है। देश दो वर्गों में विभाजित हो गया है। जन साधारण और जन साधारण के हितैषी। ये हितैषी क्या वास्तव में हितैषी हैं अथवा साधारण जनता की आड़ में अपने काले धन को बचाने की अपनी ही स्वार्थ पूर्ति में लगे हुए हैं। आज समय की सबसे बडी आवश्यकता है सामान्य जन को जागरूक होने की।अपने हित अहित को समझने की।एक ओर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी देश से भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ना चाहते हैं, सुशासन लाना चाहते हैं और चाहते हैं अपने भारत देश का चहुँमुखी विकास। दूसरी ओर भ्रष्ट नेता देश भक्ति का ढोंग रच कर देश को अवनति के गर्त में ढकेलने के लिए अपनी ओर से पूरी तरह से प्रयासरत हैं। ऐसी प्रवृति के नेता लोग जो प्रधान मंत्री मोदी जी को लेकर जनता में।मिथ्या प्रचार करके मोदी जी से लड़ने का साहस जुटा रहे हैं व उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। उन पर मनमाने लांछन लगा रह हैं। लेकिन अब तो पूरे विश्वास से कहा जा सकता है कि सामान्य जन आदरणीय प्रधान मंत्री के साथ प्रधान मंत्री जी का कवच बन कर उनके बचाव मेंआगे आ रहा है कि मोदी जी पर आँच भी नहीं आने दे रहे हैं ।इस संदर्भ में एक पोस्ट पढ़ने को मिली -मोदीसे लड़ने के लिये मोदी बनना पड़ेगा*अपने बचपन के दिनों में मै अपने घर के बाहर सडकों पर ऐसे ट्रकों को आते जाते देखता था जिन पर गन्ने लदे होते थे… एक ट्रक पर कई टन गन्ने ट्रक से आधे लटकी हुई अवस्था में लटके होते थे… ऐसी ट्रकें बहुत धीमे चलती थी… और यही कारण था कन जब भी ये ट्रक सड़क किनारे बसी आबादी से होकर गुजरते तो वहां गन्ने लूटने वालों की भीड़ लग जाती… मुझे याद है एक बार ऐसा ही एक ट्रक मेरे घर के ठीक सामने खराब हो गया और जैसे ही ट्रक रुका वहां गन्ने लूटने वालों की भीड़ लग गयी… ड्राइवर ने लोगों को हटाने के बहुत प्रयास किये… लेकिन सैकड़ों लोगों की भीड़ भला एक आदमी का कहा क्यों मानती ?? जब तक ट्रक वहां खड़ी रही तब तक ना जाने कितने लोगों ने गन्ने लूटे होंगे…इस घटना को आज करीब 20 वर्ष हो गए… लेकिन वो दृश्य आज तक मेरी आखों के सामने नाचता है… जब लोग कहते हैं की मोदी देश को मूर्ख बना रहा है… जब लोग कहते हैं की मोदी तो अडानी अम्बानी और टाटा बिडला का एजेंट है, तो मुझे उसी गन्ने से लदी हुई ट्रक की याद आ जाती है… मोदी ने भारत जैसे देश को महान बनाने की चुनौती स्वीकार की है..उस देश को जो स्वघोषित रूप से महान है… जिस देश में ट्रेन या बस दुर्घटनाओं के बाद सबसे पहले घायल और मृतकों के गहने तक लूट लिए जाते हों… जिस देश में आयल टैंक पलट जाने पर ड्राइवर की जान बचाने के स्थान पर लोग पेट्रोल लूटना ज्यादा पसंद करते हों… जिस देश में एक बोतल दारु के लिए लोग अपना वोट बेच देते हों… जिस देश में इमानदारों को मूर्ख घोषित कर दिया जाता हो…… जिस देश में सुविधा को अधिकार समझ लिया जाता हो… जिस देश में ट्रेन से लेकर राशन की दुकान तक और दवाई से लेकर दारु तक के लिए लाइन लगानी पड़े… उस देश को महान बनाने का संकल्प लेने वाला इंसान भी अपने आप में महान है…दुनिया का सबसे आसान काम है दूसरों में दोष निकलना… आप मोदी में भी दोष निकाल सकते हैं… बिलकुल निकालिए… मोदी भगवान नहीं है… उससे भी गलती हो सकती है… स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र लोकतंत्र में आप भारत के प्रधानमंत्री पद पर बैठे हुये व्यक्ति की आलोचना कर सकते हैं…लेकिन एक चीज़ है जो आप मोदी से छीन नहीं सकते… क्योंकि यह चीज़ छीनी नहीं जा सकती…ये पैदा करनी पड़ती है… और ये चीज़ है… अपनी धरती माता अपनी भारत माता के प्रति मोदी का अथाह और निश्छल प्रेम… हाँ ये वो चीज़ें है जो आप मोदी से नहीं छीन सकते… आप मोदी से उसकी कुर्सी छीन सकते हैं लेकिन वो संकल्प, वो महान संकल्प नहीं छीन सकते जो उसने भारत को महान बनाने के लिए लिया हुआ है… आप मोदी से वो साहस नहीं छीन सकते जो उन्हें प्रधानमंत्री होते हुये भी ये बोलने के लिए प्रेरित करता है की “हाँ मै एक हिन्दू राष्ट्रवादी हूँ“… आप मोदी से नहीं छीन सकते-उनकी निडरता.. नहीं छीन सकते- काम के प्रति उनका उत्साह… नहीं छीन सकते- उनके कड़े और महान निर्णय लेने की क्षमता… आप नहीं छीन सकते हैं वो धैर्य जो 10 घंटे सीबीआई की जांच और गहन पूछताछ के दौरान भी नहीं टूटा… और अंत में आप नहीं छीन सकते है वो 56 इंच सीना जो उन्हें यानी मोदी को मोदी बनाता है।ऐसा देश जहाँ हर इंसान जन्म से भ्रष्टाचार और चोरी के गुण लेकर पैदा होता है…जहाँ एक खड़ी गन्ने से लदी ट्रक को भी लोग लूटने से बाज नहीं आते… ऐसे देश को महान बनाने का संकल्प लेने वाला कोई साधारण व्यक्तित्व का मानव नहीं हो सकता।मोदी को दिन रात कोसने,…मोदी से लड़ना है तो पहले मोदी बनो…
नोटबन्दी के नाम पर एक अच्छी पहल को एक तंत्र बर्बाद करने पर लगा है।अगर नोट बंदी और काले धन के विरूद्ध ये प्रयासफेल हुआ तो अगले सैकड़ो साल तक कोई भी राष्ट्राध्यक्ष दुबारा इस कदम को उठाने का साहस नहीं करेगा। और हमारी भावी पीढ़ियां न जाने कब तक शायद हमेशा के लिए भ्रष्ट्राचार की व्यवस्था में जीने के लिए अभिशप्त हो जाएंगी।हम इतिहास के एक निर्ण़ायक मोड़ पर खड़े है, कुछ वैसा ही मोड़ जहाँ पृथ्वीराज चौहान की हार हुई थी और क़ुतुबुद्दीन ने हमारे ही देश को परतंत्रता की बेड़ियों से जकड़ लिया था। ये इतिहास के उस मोड़ जैसा है जब पाकिस्तान का जन्म हुआ था जिसका दंश हम 70 साल से भोग रहे है।* नोटबंदी का असफल होना मोदी जी की नहीं इस देश की असफलता ।होगी। अतः हम ये भूल जाएं की हम हिन्दू हैं, मुसलमान हैं, सिख या ईसाई है..कांग्रेसी हैं ,समाजवादी हैं, हरिजन हैं, बहुजन हैं, और अब केवल ये सोचें की हम इस नोटबंदी और कैशलेस प्रयास को अपने देश व बच्चों के भविष्य लिए सफल करेंगे। एक बार थोड़ी असुविधा सहन कर लें।देश के लिए ना सही अपने ही भावी परिवार के सुखद और संमृद्ध जीवन के लिए। कुछ एक स्वार्थी भ्रष्ट नेताओं के कारण मोदी जी को भी मत फेल होने दीजिए ।
सफल या असफल होने से हम एक सफल या असफल राष्ट्र बनेंगे।
अगर सम्पूर्ण भारत कैशलेस (cashless) हुवा तो?काला पैसा 0%, पैसो की छपाई लागत 0%,कागज़ की बर्बादी 0%, नकली नोट 0℅, बटवा चोर 0%घोटाले 0%, टैक्स चोरी 0%, समय की बर्बादी 0℅
, पैसो की गनती में गड़बड़ी 0% ,किडनैपिंग 0%, भ्रष्टाचार 0%, बैंक की लाइने 0%, देश की प्रगति 100%, ईमानदारी 100% , पारदर्शिता 100%, अर्थव्यवथा मजबूत होगी, आतंकवादी भारत में कदम नहीं रख पाएगा, नक्सलवाद कम होगा, कागज़ बचेगा और पर्यावरण को लाभ होगा, बैलेंस शीट अपनी पासबुक होगी, एकाउंटिंग प्रिपरेशन चार्जेस कम होंगे, खर्च का सही विश्लेषण होगा, भारत जल्दी विकसित देश बन जाएंगा
। दुनिया में कुछ ऐसे देश जो कैशलेस हैं -बेल्जियम 93% कैशलेस, फ्रांस 92% कैशलेस, कॅनडा 90% कैशलेस यू के 89% कैशलेस, ऑस्ट्रेलिया 86% कैशलेस
।आइये सभी मिलकर देश को कैशलेस बनने में सहयोग दे। और आतंकवाद, ब्लैक मनी और भ्रष्टाचार को ख़त्म करे। कोई और देश के लोग कैशलेस बन सकते है तो हम क्यों नहीं। इसे इतना शेयर करो की यह आवाज पुरे भारत में गूंजे और हम गर्व से कह सके *We Are Cashless* देशवासियों का सुशासन का सपना भी साकार होगा।
राज कुकरेजा/करनाल
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