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आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
नमस्ते
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी! आप ने देश के हित में जिस मंत्र का उद्घोष किया था, उसका अर्थ भी आपने किया है – विकास, विज़्यन और विश्वास। इस मंत्र की सिद्धि के लिए आपने धन शुद्धिकरण यज्ञ को अत्यंत महत्वपूर्ण समझा और इस यज्ञ का आह्वान आठ नवंबर को कर दिया है। यह एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया है। पिछले सत्तर सालों के इतिहास में पहली बार किसी ने धन शुद्धिकरण यज्ञ के संकल्प को पूरा किया है। इस यज्ञ को नोटबन्दी अभियान की संज्ञा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी! आपने ने भविष्य में कुछ और बड़े कदम उठाने के संकेत दिए हैं। आपकी इच्छा भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की है। किन्तु प्रश्न है कि क्या ये असामाजिक, देश द्रोही, अधर्मी तत्व भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनने देंगे ? इसका उत्तर यह है कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने देना तो दूर, इन पर इस नोटबन्दी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि अभी तक देखने में आया है कि ऐसे लोगों ने सरकार और कानून से भी ऊपर अपने हाथ फैला रखे हैं और अभी से रास्ते खोज लिए हैं और भी खोज लेंगे और थोड़ा बहुत कोई नुकसान हुआ भी है तो उसकी भरपाई उन्हीं तौर तरीकों से कर लेंगे जिनसे काला धन संग्रहण किया था। क्या रिश्वत लेने वाले नए नोटों से रिश्वत नहीं लेंगे? क्या भ्रष्टाचारी, कालाबाजारी, जमाखोरी आदि करने वाले अपनी कारगुजारियों को बन्द कर देंगे? इन सभी प्रश्नों का उत्तर यह है कि यह सब कार्य जारी रहेंगे। उल्टे नुकसान की भरपाई हेतु बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार करने के प्रयास किए जाने की संभावना है। एक छोटा सा उदाहरण प्रस्तुत कर रही हूँ जिसे एक भ्रष्टाचार से पीड़ित बहन ने वटस्एप पर पोस्ट किया है -”भारत के लोगो के खून में बेईमानी बस चुकी है। मोदी जी! इसे आप भी नही निकाल पाएंगे जब तक कोई कठोर कानून नही बनता और दोषियों को दण्ड नहीं मिलता।चैक के द्वारा वेतन देने का प्रावधान तो पहले से ही था ये प्राइवेट स्कूल के कारनामे बता रही हूँ चैक से वेतन तो मिलता था मगर कुछ पैसे स्कूल की प्रिंसिपल को वापिस किये जाते हैं। बेईमान लोग बेईमानी से कभी बाज़ नही आयंगे। अब लेबर को एडवांस शो करके फिर उसे चैक से कम पैसे दिए जायँगे भरष्टाचार कभी खत्म नही हो सकता जब तक कानून सख्त नही होगा। सब से ज़्यादा भ्रष्टाचार की चपेट में असहाय और लाचार लोग हैं। बिना रिश्वत कोई काम करता ही नही, जब तक रिश्वत न दोगे चक्कर काटते रहोगे। काम बिना रिश्वत होगा ही नहीं। आँखों देखी और झेली है ये सारी भरष्टाचारी। हो सके तो इसे इतना शेयर करो की मोदी जी तक बात पहुँच सके। इसकी गवाह मैं खुद हूँ “
भ्रष्टाचार का उपाय है कि भ्रष्टाचार के उन्मूलन के कारण तक पहुंचना। भ्रष्टाचार का संक्रामक रोग कब, कैसे और क्यों उत्पन्न हुआ, इसका किसी के पास से संतोष जनक उत्तर नहीं मिल सकता क्योंकि यह एक कार्य है और हमारे दर्शन शास्त्रों का मानना है कि कार्य बिना कारण नहीं होता है। अब विचारणीय बिन्दु है कि भ्रष्टाचार का मूल स्रोत अर्थात कारण क्या है और कहाँ है। इस संबंध में कोई संदेह नहीं है कि राजनेता ही भ्रष्टाचार के मूल कारण हैं क्योंकि नीतिकारों का मानना है कि जैसा राजा वैसी प्रजा। भ्रष्ट राजा तो, प्रजा भी भ्रष्ट। भारत जैसे लोकतंत्र देश में हज़ारों की संख्या में भ्रष्ट राजनेताओं की प्रजा का अनुमान बड़ी ही सुगमता से लगाया जा सकता है। देश की वर्तमान स्थिति इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। हजारों राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और इस लिए सरकारी मशीनरी, निजी कंपनियाँ, मीडिया और तो और धार्मिक संस्थाएँ भी अछूती नहीं हैं। शिक्षा, चिकित्सा और न्याय जैसे पवित्र क्षेत्र भी भ्रष्टाचार के दलदल कीचड़ मे डूबे हुए हैं। चहुं ओर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। रिश्वतखोरी औऱ काला बाजारी का वातावरण बना हुआ है लोगों के काम रिश्वत से हो रहे हैं और अपराधी रिश्वत दे कर बेधड़क घूम रहे हैं।लगने लगा है कि सभी अकंठ इस में डूबे हुए हैं। ऐसी स्थिति में नोटबंदी का जो कदम उठाया गया है सराहनीय है परन्तु है आटे में नमक के समान। प्रायः ऐसा कहा जाता है कि चोर चोरी से बाज़ आता है परन्तु हेरा फेरी से बाज़ नहीं आता है। इस की झलक तो नोटबन्दी अभियान में भ्रष्ट लोगों ने व बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत ने दे ही दी है। नोटबन्दी अभियान ने देश की तस्वीर को स्पष्ट किया है कि हम सब चोर हैं, कोई छोटा चोर तो कोई बड़ा। और ध्यान देने की बात है कि नदी का स्रोत गंदला है तो नीचे से जितनी भी सफाई करें पर कुछ लाभ होने वाला नहीं है। नीचे से सफाई के लिए प्रथम स्रोत को ही स्वच्छ करना होगा। इस अवसर पर हमारी प्रधानमंत्री जी! आप से अ्नुरोध व प्रार्थना है कि भ्रष्टाचार का स्रोत जो कि राजनीति है उस पर अंकुश लगाना। पार्टियों के काले धन के सभी रास्तों को बंद करना, पार्टी के आय के स्रोत पर दृष्टि रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री जी! इससे सुनिश्चित ही भारत में काले धन की लगभग सफाई होगी और इस से गरीब, मध्यमवर्ग, तथा भावी पीढ़ियों का सशक्तीकरण होगा। भारत की प्रगति और समृद्धि को भ्रष्टाचार और काले धन की दीमक नहीं लगेगी। इस पवित्र यज्ञ में हम सब देश हितैषी जन आप के साथ हैं।
निवेदक
भारत का सामान्य नागरिक
जय हिंद
वंदेमातरम्
राज कुकरेजा /करनाल
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