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मन की बात–मोदी जी के साथ विषय- (आरक्षण)

चिंतन के क्षण
चिंतन के क्षण
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मन की बात–मोदी जी के साथ विषय- (आरक्षण)
आदरणीय प्रधान मंत्री जी,
नमस्ते ।
बड़ा ही हर्ष का विषय है कि हम देशवासी इन तीन वर्षों में आपकी उपलब्धियों को उत्सव के रूप में मना रहे हैं।वैसे तो अनेकों उपलब्धियों को गिनाया जा रहा है परन्तु व्यक्तिगत स्तर पर चर्चा करें तो ऐसा लगने लगा है कि आपके शासन काल में मृतप्राय: देश में जीवन की लालसा जागृत हो रही है।पिछले 67 वर्षों में हमें लग रहा है कि हम जी नहीं रहे थे, केवल साँस ही ले रहे थे।आपने देश के जन सामान्य को अपनी मन की बात द्वारा जोड़ा है, जिसमें कुछ अपने विचार प्रकट किए और कुछ देशवासियों को उनकी मन की बात को सुनने का अवसर भी दिया है।हम जानते हैं कि आज देश अत्यंत ही विषम परिस्थितियों की दलदल में फँसा हुआ है, समस्याएँ विकट हैं, विकास के पथ पर आप सबको साथ ले कर चलना चाहते हैं।वर्तमान काल में आरक्षण की नीति के साथ विकास संभव नहीं अपितु ऐसा कहा जाए कि असंभव है तो अतिश्योक्ति नहीं है।जातिगत आरक्षण देश को पंगु बना रही है तो पंगु समाज से विकास की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? यह विचारणीय हिंदू है और सब बुद्धिजीवियों के उदगार आप तक पहुँचे, इसी भावना से प्रेरित हो कर उन्हीं के शब्दों में प्रेषित कर रहे हैं।

“किसी देश का विनाश बम से सम्भव नहीं है
उदाहरण :- जापान
किसी देश का विनाश हजारों सालों के अत्याचार से भी संभंव नहीं है
उदाहरण :- इजरायल
अगर विनाश करना है किसी देश का तो आरक्षण लागु कर दो ताकि अयोग्य लोग उच्च पदों पर बैठ जाए, और विनाश स्वयं ही हो जाएगा.!
उदाहरण :- भारत

अखंड भारत के जनक सरदार पटेल भी मानते थे कि–आरक्षण गलत है।इस से देश का विकास कम और विनाश अधिक होने की संभावना है।जातिगत आरक्षण ” देश की अखंडता के विरुद्ध एक राजनैतिक षडयंत्र है।उनका मानना था कि सब भारतीय है, आज़ादी के बाद देश का हर वर्ग भूखा और नँगा है…इसलिए किसी वर्ग विशेष को ये सुविधा देना गलत है।अगर आज किसी जाति / वर्ग विशेष को आरक्षण दिया गया तो भविष्य के भारत में रोज़ एक नई जाति / वर्ग तैयार होगा जो आरक्षण माँगे गी और देश की एकता और अखंडता पर ख़तरा उत्पन्न होगा। जो दलित और ग़रीब है, उनके लिए दूसरे हर तरह के उपाय करने में कोई आपत्ति नहीं है-जैसे — निशुल्क शिक्षा, सरकारी स्कूल, उनके लिए सस्ते घर, रोज़गार इत्यादि-इत्यादि…( संरक्षण के रूप में )
उन्हें इतना काबिल बना दो कि वो खुद के दम पर आगे बढ़ सकें। न कि आरक्षण की बैसाखी से या मुफ्तखोरी से।किसी अयोग्य को सत्ता पर बैठाकर देश को बर्बाद क्यों करना चाहते हो? आरक्षण देकर तुम_ अयोग्यता_को_बढ़ावा_क्यों_दे_रहे_हो? ये तो नूतन आज़ाद देश को फिर से जाति और वर्ग में बाँटकर गुलामी की तरफ ले जा रहे हैं। आरक्षण देश को फिर गुलाम बना देगा और भविष्य में भारत गृहयुद्ध की चपेट में आ जायेगा। आरक्षण की यह व्यवस्था भारत के लिए दुर्भाग्य साबित होगा।मैं हर गरीब-दलित और वंचित के हक़ की बात करने को तैयार हूँ लेकिन इसका अर्थ ये तो नहीं की भूखे मर रहे और दूसरे जातियों / वर्गों की क़ुरबानी दे दी जाये ?”
जानकार कहते है कि अगर सरदार पटेल ज़िंदा होते तो भारत का वो संविधान जो अम्बेडकर ने पेश किया था, वो लागू न हो पाता क्योंकि वह संविधान देश को जाति-वर्ग में बाँटकर, देश की एकता तथा अखंडता को तोड़ने वाला था । पर आज वही संविधान लागू है, जिसमें 10 वर्ष के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया था और समय-समय पर आरक्षण की समीक्षा की बात की गई थी लेकिन आरक्षण का यह दीमक देश में आज तक लगा हुआ है और अब देश को धीरे-धीरे खोखला करते हुए कई भागों में तोड़ने को तैयार है तथा देश गृहयुद्ध की तरफ बढ़ चुका है।अब बाँटो और राज करो की नीति देश में खूब फल-फूल रही है।आज देश की शोचनीय दशा चिल्ला-चिल्ला कर सिद्ध कर रही है कि लौह पुरुष सरदार पटेल की दूरदर्शिता कितनी सच की कसौटी पर खरी उतर रही है।
अखिल भारतीय समानता मंच ने भी अपने विचारों को इन भावपूर्ण शब्दों में किया है।
“प्रधान मंत्री जी! जैसा कि आप जानते हैं कि समाज के पिछडे वर्गों के लिये संविधान में मात्र”दस वर्षों के लिये आरक्षण”की व्यवस्था की गयी थी, किन्तु जातिवादी व निहित कारणों से जाति आधारित आरक्षण की अवधि व क्रीमीलेयर की सीमा को बारंबार बिना समीचीन समीक्षा के बढ़ाया जाता रहा है ,
जिसे कि 10– 10 वर्ष करते करते आज 67 वर्ष पूरे हो गए हैं ।
आज तक ऐसे आरक्षण प्राप्त डॉक्टर, इंजीनियर , प्रोफेसर , शिक्षक, कर्मचारी किसी ने नहीं कहा कि अब वह दलित या पिछड़ा नहीं रहा व अब उसे जातिगत आरक्षण की जरुरत नहीं है।
इससे सिद्ध होता है कि आरक्षण का आधार पिछड़ा वर्ग या समूह के बजाय जाति किये जाने से इन 67 सालों में कोई लाभ नहीं हुआ है।
प्रधान मंत्री जी! यह भली भाँति सब को विदित है कि इस जाति आरक्षण का लाभ जहां कुछ खास लोग परिवार समेत पीढ़ी दर पीढ़ी लेते जा रहें हैं, वहीं वे इसे निम्नतम स्तर वाले अपने ही जरूरतमंद लोगों तक भी नहीं पहुंचने दे रहे हैं। अन्यथा इन 67 वर्षों में हर आरक्षित वर्ग के व्यक्ति तक इसका लाभ पहुँच चुका होता।ऐसे तबके को वे केवल अपने बार बार लाभ हेतु संख्या या गिनती तक ही सीमित कर रहे हैं।महोदय जी! आप भी ग़रीबी से परिचित हैं कि ग़रीबी जाति देख कर नहीं आती।आरक्षण का आधार जाति किये जाने से जहाँ सामान्य वर्ग के तमाम निर्धन व जरूरतमंद युवा बेरोजगार व हतोत्साहित हैं, कर्मचारी कुंठित व उत्साहहीन हो रहे हैं, वहीं समाज में जातिवाद का ज़हर बड़ी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है।
अत: आपसे निवेदन है कि राष्ट्र के समुत्थान व विकास के लिये संविधान में संशोधन करते हुये आरक्षण को समाप्त करने का कष्ट करें।
किसी भी जाति – धर्म के असल ज़रूरतमंद निर्धन व्यक्ति को आरक्षण नहीं बल्कि संरक्षण देना सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए ।

आरक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त करने से पहले अगर वंचित वर्ग तक इसका ईमानदारी से वास्तव में सरकार लाभ पहुँचाना चाहती है तो इस आरक्षण को एक परिवार से एक ही व्यक्ति, केवल बिना विशेष योग्यता / कार्यकुशलता वाली समूह ग व घ की नौकरियों में मूल नियुक्ति के समय ही दिया जा सकता है।आयकर की सीमा में आने वाले व्यक्ति के परिवार को आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिये ताकि राष्ट्र के बहुमूल्य संसाधनों का सदुपयोग सुनिश्चित हो सके।पदोन्नति में आरक्षण तो पूर्णतया बंद कराया ही जाना चाहिये जिससे कि योग्यता, कार्यकुशलता व वरिष्ठता का निरादर न हो।
प्रधान मंत्री जी! हम आपके ध्यान में लाना चाहते हैं कि आरक्षण भी एक अवैध बूचड़खाना है जहाँ योग्य युवा प्रतिभाशाली युवाओं का क़त्ल हो रहा है।
हम सब उन सच्चे वीरों और सपूतों को नमन करते हैं, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
किसी ने बड़ा ही सुन्दर कहा है कि —–
“आरक्षण से देश को तोड़ो नहीं,संरक्षण से देश को जोड़ो ।।
आरक्षण से देश को अयोग्य नहीं बनाओ,
संरक्षण देकर देश को विश्वगुरु बनाओ ।।”
हम जानते हैं कि अन्य राजनैतिक दल केवल और केवल जातिगत आरक्षण से वोटों की रोटियाँ सेंकने वाले हैं, उनसे केवल निराशा ही मिलने वाली है।इस समय आशा की किरण की अपेक्षा आपसे ही की जा सकती हैं और इसी आशा के साथ अपने मन की वेदना प्रकट करने का साहस जुटा पा रहे हैं।
धन्यवाद।
जय भारत। वंदे मातरम् ।
निवेदन कर्ता
देश का सामान्य नागरिक
राज कुकरेजा/ करनाल
Twitter @Rajkukreja 16

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